जन्मदिन विशेष :THE Wall ने जब एक ओवर में जड़े थे 3 लगातार छक्के
टेस्ट क्रिकेट के दुनिया में बेहतरीन खिलाड़ियों में शुमार है। राहुल द्रविड अपने बल्लेबाजी की खूबी के कारण "वॉल" और "मिस्टर रिलायबल" नाम मिला था। राहुल द्रविड ने अपने अंतराष्ट्रीय करियर में 164 टेस्ट मैच खेले है जिसमे 52.31 के औसत से 13288 रन बनाये है। जबकि वनडे में द्रविड ने 344 मैचों में 39.16 के औसत से 10889 रन बनाये हैं। वहीं अपने पुरे अंतराष्ट्रीय करियर में द्रविड ने एक हीं टी20 इंटरनेशनल मैच खेला है। जिसमे उन्होंने लगातार तीन गेंदों पर छक्के जमाने का कमाल किया था।
द्रविड ने 3 अप्रैल 1996 को सिंगापुर में श्रीलंका के खिलाफ वनडे मैच खेलकर अपने इंटरनेशनल करियर का आगाज किया। इस मैच में वे केवल 3 रन बनाकर आउट हो गए थे। राहुल ने अपना पहला टेस्ट मैच जून 1996 में इंग्लैंड के खिलाफ मशहूर लॉर्ड्स मैदान पर खेला था। इसी मैच में उनके नाम सौरव गांगुली ने टेस्ट करियर का आगाज किया था। जहां सौरव अपने इस पहले टेस्ट में शतक जमाकर हर किसी का ध्यान आकर्षित करने में सफल रहे, वहीं द्रविड़ 95 रन पर आउट होने के कारण पहले टेस्ट में ही शतक बनाने के रिकॉर्ड से चूक गए।
द्रविड को स्लिप के बेहतरीन फील्डर्स में शुमार किया जाता था। द्रविड़ ने टेस्ट क्रिकेट में 210 कैच लपके।
उनका सर्वोच्च स्कोर 270 रन है जो उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ अप्रैल 2004 में रावलपिंडी में बनाया था। वहीं वनडे में द्रविड़ का सर्वोच्च स्कोर 153 रन है।
2001 में कोलकाता के ईडन गार्डन्स में भारत और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के 445 के जवाब में 171 रन बनाने के बाद भारत को फिर से बल्लेबाजी करने के लिए भेजा गया। जिसके बाद दूसरे इनिंग में राहुल ने 180 रनों की पारी खेली और भारत को 600 के ऊपर ले गए। इस मैच में द्रविड और लक्ष्मण के शतक के बदौलत भारत ने ऑस्ट्रलिया ऐतहासिक जीत दर्ज की।
बेहद शांत स्वभाव के द्रविड़ विवादों से हमेशा दूर रहे. अपने लंबे क्रिकेट करियर के दौरान उनका नाम केवल दो बार विवादों में आया। वर्ष 2004 में एक इंटरनेशनल मैच के दौरान द्रविड़ को जैली से गेंद को चमकाते हुए कैमरे में पकड़ा गया था. हालांकि द्रविड़ ने यह काम जानबूझकर नहीं किया था। और दूसरी बार पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट सीरीज में कप्तान के तौर पर द्रविड़ ने ऐसे समय भारतीय पारी घोषित करने का फैसला लिया था जब सचिन तेंदुलकर 194 रन बनाकर खेल रहे थे। मुल्तान टेस्ट के दौरान लिए गए द्रविड़ के इस फैसले के कुछ पूर्व क्रिकेटरों ने आलोचना की थी। उनका मानना था कि द्रविड़ को सचिन को दोहरा शतक पूरा करने के बाद ही पारी घोषित करनी चाहिए थी।